Wednesday, January 23, 2013

आतममंथन

काँटे अगर ढूंडोगे अपनी राहों में ,
राहें हमेशा इधर उधर बिखर जाएंगी।।

आँखे अगर बंद करलोगे चलने से पहेले ,
मंज़िले हमेशा बहुत दूर नज़र आएँगी।।

अपनों का साथ ना दे सके मुश्किलों में,
रिश्तों में दूरिया हमेशा के लिए बन जायेंगी।।

विश्वास के धागे को अगर बुन न सके ,
ज़िन्दगी में तन्हाईया ही हमेशा हाथ आएंगी।।

झूँठ और फरेब कर, कितना भी चिलI लो,
एक दिन सचाईया ज़माने को नज़र आएंगी।।

दुनिया को तो धोखा फिर भी दे दोगे ,
अपने आप से कैसे नज़र मिलोगे।।