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Sunday, April 7, 2013

माता रानी की वंदना


माता रानी का नाम स्मरण कर, हर शुभ काम कीजिए,
श्रद्धा से भरकर मन को, सच्चे दिल से प्रणाम कीजिए।
दुनिया तो बस माया है, छलावा हर एक द्वार,
भक्ति की नैया लेकर, जीवन-सागर पार कीजिए।।

माता बस इतनी कृपा करें, आपका साया बना रहे,
नयन कभी भी भटकें न, चरणों से नाता बना रहे।
शरीर कर्मयोग में रचे, आत्मा सेवा में लगे,
इस फ़क़ीर को अवसर दें, जो जीवन भर आपको जपे।।

माता हमारे कष्ट हरें, संकट सारे दूर करें,
दुष्टों का नाश करें, अधर्म का तूर करें।
हर दिल को दें शांति का वर, सद्बुद्धि का प्रकाश,
हर जीवन में भर दीजिए, विश्वास और उल्लास।

Sunday, March 17, 2013

यमराज की परेशानी

आज कल हम सभी यही कहते हैं की दुनिया में इतना पाप और समस्याए बढ़ गयी हैं, पता नहीं आगे क्या होगा। मैंने सोचा अगर हमारा यह हाल हैं  तो सोचिये "यमराज" का क्या हाल होगा जिनको हम सभी मनुष्य के कर्म के हिसाब से फल देना होता है। इसी विषय पर मैंने कुछ पंक्तिया लिखने की कोशिश करी है।

यमराज एक दिन हुए बड़े परेशान,
एक अकेला चित्रगुप्त कैसे करेगा काम।

दुनिया की आबादी, गरीबी और पाप से  वो परेशान,
ऐसे तो पापियों का लग जायेगा यमलोक में जाम।

धरती पर मनुष्य ही बन बेठा शैतान,
नेता, पुलिस, साधू, परिवार किसी का नहीं कोई इमान।

मंदिर में लोग दे तो रहे बहुत दान,
पर मन में छल-कपट ने ले रखा हैं स्थान।

खुनी, चोर, झूठे को कर रहे सलाम,
सच्चे को हर कोई दे रहा दुःख और करे परेशान।

किसी को नहीं हैं पाप और कर्मो का ध्यान,
दुनिया में अब रह गए नाम के भगवान्।

दुनिया में फेला हैं हर तरफ सिर्फ अज्ञान,
ऐसे मैं कौन रखेगा का बेचारे यमराज का मान।

 

Tuesday, March 5, 2013

मोहमाया

मृत्युलोक के राजनीति के वैभव को देख,
ब्रह्मा जी ने एक दिन किया निर्णय,

स्वर्गलोक में भी आधुनिक लोकतंत्र अपनाया जाए,
पांच साल बाद सिंघासन का अधिकारी चुना जाए।

वरुण, अग्नि, कामदेव आदि देवताओ ने किया प्रस्ताव पास,
बेचारे इंद्र की टूट गयी रही सही आस। ।

स्वर्ग नर्क में हुआ चुनाव का जोर शोर से प्रचार,
देवता, राक्षस सारे पहुचे ताकि हमारा हो अधिकार।

स्वर्गलोक में जाग उठी सत्ता की जो प्यास,
इसीलिए गरीबी, अन्याय, बेरोजगारी का हैं वहा निवास  ।

जब जब पैसो का लालच आएगा,
तब तब देश भी बिक जायेग  ।।

Thursday, February 28, 2013

आजादी के ५० साल

हमारे देश ने १५ अगस्त १९९७ को आजादी के ५० साल पुरे किये थे। उस समय मैंने एक कविता लिखी थी, उसकी पंक्तिया इस प्रकार हैं:

आजाद परिंदा हुआ पचास का,
जिसका हमने इतिहास सुना था।

अंग्रेजो ने था बाण चलाया,
फिर २०० साल तक कैद में तडपाया।

नेहरु, गाँधी, सुभाष ने उससे मरहम लगाया,
फिर उससे कैद से मुक्त करवाया।

कैद से निकल वो चहचाया,
पर उसने सर, पीठ पर बार बार घाव खाया

फिर भी उसने शान्ति का मार्ग दिखाया,
तभी तो मेरा प्यार भारत कहलाया।।


अब जब भी मैं अपने बचपन में लिखी कविताएं पढता हु तो मुझे अक्सर लगता हैं की हम बचपन में जो कुछ भी करते हैं वो हमे बड़े होने के बाद बहुत ही अजीब लगता है।। बचपन में हमे यह परवाह नहीं होती की हमारी कविता या कोई रचना किसी को पसंद आ रही हैं या नही, शायद इसी लिए बचपन को सुन्हेरे पल कहा जाता है।।
 

Wednesday, February 27, 2013

जनता की लाचारी

आज मैं आप सब के साथ एक कविता प्रस्तुत कर रहा हु जो मैंने ४ दिसम्बर १९९५ को लिखी थी।। 


जनता हुई हैं बड़ी लाचार,
सारी पार्टिया फैलाती भष्टाचार।।
ऐसे संकट में कौन करेगा उधार,
नेताओ को तो सिर्फ धन से प्यार।।
इसलिए हवाला और लाखुभई ठगी काण्ड होते हर साल,
डबवाली काण्ड भी  होते क्यों हर साल,
क्योंकि अस्पताल खुलते होने के बाद नरसंघार।।
जनता की सबसे बड़ी यह हैं लाचारी,
बड़ी पार्टिया के चलते आपस में तीर कटारी।।
वह खून खराबा खुद करवाते,
नाम जनता का हैं लगाते,
वोट मांगने के समय मस्का लगाते।।
ऐसे संकट में कौन लेगा अवतार,
जिससे देश का हो सिर्फ उद्ह्हार।।

 

Wednesday, January 23, 2013

आतममंथन

काँटे अगर ढूंडोगे अपनी राहों में ,
राहें हमेशा इधर उधर बिखर जाएंगी।।

आँखे अगर बंद करलोगे चलने से पहेले ,
मंज़िले हमेशा बहुत दूर नज़र आएँगी।।

अपनों का साथ ना दे सके मुश्किलों में,
रिश्तों में दूरिया हमेशा के लिए बन जायेंगी।।

विश्वास के धागे को अगर बुन न सके ,
ज़िन्दगी में तन्हाईया ही हमेशा हाथ आएंगी।।

झूँठ और फरेब कर, कितना भी चिलI लो,
एक दिन सचाईया ज़माने को नज़र आएंगी।।

दुनिया को तो धोखा फिर भी दे दोगे ,
अपने आप से कैसे नज़र मिलोगे।।