आज कल हम सभी यही कहते हैं की दुनिया में इतना पाप और समस्याए बढ़ गयी हैं, पता नहीं आगे क्या होगा। मैंने सोचा अगर हमारा यह हाल हैं तो सोचिये "यमराज" का क्या हाल होगा जिनको हम सभी मनुष्य के कर्म के हिसाब से फल देना होता है। इसी विषय पर मैंने कुछ पंक्तिया लिखने की कोशिश करी है।
यमराज एक दिन हुए बड़े परेशान,
एक अकेला चित्रगुप्त कैसे करेगा काम।
दुनिया की आबादी, गरीबी और पाप से वो परेशान,
ऐसे तो पापियों का लग जायेगा यमलोक में जाम।
धरती पर मनुष्य ही बन बेठा शैतान,
नेता, पुलिस, साधू, परिवार किसी का नहीं कोई इमान।
मंदिर में लोग दे तो रहे बहुत दान,
पर मन में छल-कपट ने ले रखा हैं स्थान।
खुनी, चोर, झूठे को कर रहे सलाम,
सच्चे को हर कोई दे रहा दुःख और करे परेशान।
किसी को नहीं हैं पाप और कर्मो का ध्यान,
दुनिया में अब रह गए नाम के भगवान्।
दुनिया में फेला हैं हर तरफ सिर्फ अज्ञान,
ऐसे मैं कौन रखेगा का बेचारे यमराज का मान।
यमराज एक दिन हुए बड़े परेशान,
एक अकेला चित्रगुप्त कैसे करेगा काम।
दुनिया की आबादी, गरीबी और पाप से वो परेशान,
ऐसे तो पापियों का लग जायेगा यमलोक में जाम।
धरती पर मनुष्य ही बन बेठा शैतान,
नेता, पुलिस, साधू, परिवार किसी का नहीं कोई इमान।
मंदिर में लोग दे तो रहे बहुत दान,
पर मन में छल-कपट ने ले रखा हैं स्थान।
खुनी, चोर, झूठे को कर रहे सलाम,
सच्चे को हर कोई दे रहा दुःख और करे परेशान।
किसी को नहीं हैं पाप और कर्मो का ध्यान,
दुनिया में अब रह गए नाम के भगवान्।
दुनिया में फेला हैं हर तरफ सिर्फ अज्ञान,
ऐसे मैं कौन रखेगा का बेचारे यमराज का मान।
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