1.
मेरा घर दो लकीरों में बटा हैं,
लकीरों के पार सिर्फ गम की घटा हैं,
लकीर और दीवार तो मैं गिरा दूँ,
लकीर से बड़ा एक अहंम है जो अड़ा हैं ॥
1.
मेरा घर दो लकीरों में बटा हैं,
लकीरों के पार सिर्फ गम की घटा हैं,
लकीर और दीवार तो मैं गिरा दूँ,
लकीर से बड़ा एक अहंम है जो अड़ा हैं ॥
1.
कुछ मर के मिल गए मिट्टी में,
कुछ मर के बह गए पानी में,
जिस जिस को घमंड था जमाने में,
वो भी रोब ना जमा पाए मौत के आने पे ॥