1. मेरा घर दो लकीरों में बटा हैं,
लकीरों के पार सिर्फ गम की घटा हैं,
लकीर और दीवार तो मैं गिरा दूँ,
लकीर से बड़ा एक अहंम है जो अड़ा हैं ॥
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