इच्छाओ के हवाई किले बनाने का आदि हूँ मैं,
हमेशा सिर्फ़ जीतने
का आदि हूँ मैं,
एकांत में कल्पनाओ
की खाई में डूबने का आदि हूँ मैं ,
अपने असली अस्तित्व
को ढूडने का आदि हूँ मैं,
बहुत कम दोस्त
बनाने का आदि हूँ मैं,
सबकी कल्पनाओ और
सोच से बाहर हूँ मैं,
तभी तो अमित हूँ
मैं ॥
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