1.
शायद सच कहते है लोग
मैं कुछ हूँ अधूरा अधूरा,
मेरी और मेरे पापा की कुछ बातें अधूरी,
मैंने पापा की लात नहीं खायी,
मैंने पापा की मार नहीं खायी,
पापा होते तो ऐसा कहते,
पापा होते तो वैसा कहते,
कुछ नादानीया कुछ खास कहना था,
पीनी थी दारू उसके साथ जो अपना था,
जिंदगी के तूफानों में अक्सर टूट जाता हूँ
पापा को तारो में साथ देख फिर खड़ा हो जाता हूँ,
हाँ यह सच है पापा के बिना मैं कुछ हूँ अधूरा अधूरा ॥
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