1. मैं हमेशा जरूरत पूरी करता रहा,
हर बार उनकी जरूरत बढ़ती रही,
जब मैं कुछ ना कर पाया,
उनकी जरूरतों को मेरी जरूरत ही नहीं रही ॥
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