1.
रात को अशक बहा लेता हूँ,
दिन में मुस्कुराना भी होता है ॥
1. धर्म में मंदिर जला दिया,
मस्जिद जला दिया,
धर्म में बेटी जला दी,
दामाद दफना दिया,
धर्म का नाम ले ले कर,
धर्म के दलालों ने कितनो को अधर्मी बना दिया ॥
1.
चौकीदार भी मैं,
हवलदार भी मैं,
मोची भी मैं, और बावर्ची मैं,
खेतो का किसान भी मैं,
पसीने वाला मजदूर भी मैं,
जीवन भी मैं , शमशान भी मैं,
दुख को मुस्कुराके जीने की पहचान हूँ मैं,
ऐ दुनिया इंसान हूं मैं ॥
1.
बचपन बेचा,
मासूमियत बेची,
बेचे अपने ख्वाब,
खुशियाँ बेची, नींद बेची
बेचा अपना खून,
बेचा वो सब कुछ जो मेरा था,
बेचा वो भी जो हो सकता मेरा था,
इस बेच बेच के खेल में हर वक्त में था अकेला ॥