1. बचपन बेचा,
मासूमियत बेची,
बेचे अपने ख्वाब,
खुशियाँ बेची, नींद बेची
बेचा अपना खून,
बेचा वो सब कुछ जो मेरा था,
बेचा वो भी जो हो सकता मेरा था,
इस बेच बेच के खेल में हर वक्त में था अकेला ॥
Post a Comment
No comments:
Post a Comment