तेरे हल्के हल्के सुरूर ने
मुझे खुदा का बंदा
बना दिया,
तूने कुछ न कहा
शर्म में
मैंने भी तेरे
सजदे में सर झुका दिया ॥
तेरे हल्के हल्के सुरूर ने
मुझे खुदा का बंदा
बना दिया,
तूने कुछ न कहा
शर्म में
मैंने भी तेरे
सजदे में सर झुका दिया ॥
When you give someone a mediocre rating, it speaks something about the way you think.
कविता लिख लिख कर, मैं खुद एक कविता बन गया हूँ ,
गमो की दास्तान
लिखी तो,
खुद एक दर्द बन
गया हूँ,
ख़ुशियाँ बाटता
चला मैं तो,
सर्कस का जोकर
बन गया हूँ,
शायद सच कहते हैं
लोग,
मैं खुद एक कविता
बन गया हूँ ॥
इच्छाओ के हवाई किले बनाने का आदि हूँ मैं,
हमेशा सिर्फ़ जीतने
का आदि हूँ मैं,
एकांत में कल्पनाओ
की खाई में डूबने का आदि हूँ मैं ,
अपने असली अस्तित्व
को ढूडने का आदि हूँ मैं,
बहुत कम दोस्त
बनाने का आदि हूँ मैं,
सबकी कल्पनाओ और
सोच से बाहर हूँ मैं,
तभी तो अमित हूँ
मैं ॥