Sunday, April 7, 2013
माता रानी की वंदना
From Tracks to Temples: A Faithful Traveller’s Diary
Sunday, March 17, 2013
यमराज की परेशानी
यमराज एक दिन हुए बड़े परेशान,
एक अकेला चित्रगुप्त कैसे करेगा काम।
दुनिया की आबादी, गरीबी और पाप से वो परेशान,
ऐसे तो पापियों का लग जायेगा यमलोक में जाम।
धरती पर मनुष्य ही बन बेठा शैतान,
नेता, पुलिस, साधू, परिवार किसी का नहीं कोई इमान।
मंदिर में लोग दे तो रहे बहुत दान,
पर मन में छल-कपट ने ले रखा हैं स्थान।
खुनी, चोर, झूठे को कर रहे सलाम,
सच्चे को हर कोई दे रहा दुःख और करे परेशान।
किसी को नहीं हैं पाप और कर्मो का ध्यान,
दुनिया में अब रह गए नाम के भगवान्।
दुनिया में फेला हैं हर तरफ सिर्फ अज्ञान,
ऐसे मैं कौन रखेगा का बेचारे यमराज का मान।
"God Is One" — A Traveller's Reflection
Thursday, March 14, 2013
Stigmatized Mistakes & Beliefs
Tuesday, March 5, 2013
मोहमाया
ब्रह्मा जी ने एक दिन किया निर्णय,
स्वर्गलोक में भी आधुनिक लोकतंत्र अपनाया जाए,
पांच साल बाद सिंघासन का अधिकारी चुना जाए।
वरुण, अग्नि, कामदेव आदि देवताओ ने किया प्रस्ताव पास,
बेचारे इंद्र की टूट गयी रही सही आस। ।
स्वर्ग नर्क में हुआ चुनाव का जोर शोर से प्रचार,
देवता, राक्षस सारे पहुचे ताकि हमारा हो अधिकार।
स्वर्गलोक में जाग उठी सत्ता की जो प्यास,
इसीलिए गरीबी, अन्याय, बेरोजगारी का हैं वहा निवास ।
जब जब पैसो का लालच आएगा,
तब तब देश भी बिक जायेग ।।
Thursday, February 28, 2013
आजादी के ५० साल
आजाद परिंदा हुआ पचास का,
जिसका हमने इतिहास सुना था।
अंग्रेजो ने था बाण चलाया,
फिर २०० साल तक कैद में तडपाया।
नेहरु, गाँधी, सुभाष ने उससे मरहम लगाया,
फिर उससे कैद से मुक्त करवाया।
कैद से निकल वो चहचाया,
पर उसने सर, पीठ पर बार बार घाव खाया
फिर भी उसने शान्ति का मार्ग दिखाया,
तभी तो मेरा प्यार भारत कहलाया।।
अब जब भी मैं अपने बचपन में लिखी कविताएं पढता हु तो मुझे अक्सर लगता हैं की हम बचपन में जो कुछ भी करते हैं वो हमे बड़े होने के बाद बहुत ही अजीब लगता है।। बचपन में हमे यह परवाह नहीं होती की हमारी कविता या कोई रचना किसी को पसंद आ रही हैं या नही, शायद इसी लिए बचपन को सुन्हेरे पल कहा जाता है।।
Wednesday, February 27, 2013
जनता की लाचारी
जनता हुई हैं बड़ी लाचार,
सारी पार्टिया फैलाती भष्टाचार।।
ऐसे संकट में कौन करेगा उधार,
नेताओ को तो सिर्फ धन से प्यार।।
इसलिए हवाला और लाखुभई ठगी काण्ड होते हर साल,
डबवाली काण्ड भी होते क्यों हर साल,
क्योंकि अस्पताल खुलते होने के बाद नरसंघार।।
जनता की सबसे बड़ी यह हैं लाचारी,
बड़ी पार्टिया के चलते आपस में तीर कटारी।।
वह खून खराबा खुद करवाते,
नाम जनता का हैं लगाते,
वोट मांगने के समय मस्का लगाते।।
ऐसे संकट में कौन लेगा अवतार,
जिससे देश का हो सिर्फ उद्ह्हार।।
Monday, February 25, 2013
My Learnings from the Book - The Goal
A few weeks ago, one of my friends
recommended that I read the book "The Goal" by Eliyahu Goldratt. At
first, I was hesitant to read another management book, but I must admit that
the book immediately captured my interest. What a great way a physicist has defined
science. He provided an explanation of the fundamentals of management using a
manufacturing setup, as well as how to find answers to any problems. The
fundamental guideline is to use common sense by performing these 3 easy steps:
a) What
to change?
b) What
to change to?
c) How
to cause the change?
The finest aspect of this book is that
it covered the fundamentals of life, management, and business. We are all aware
of it. Although we are all aware of it, we nonetheless frequently ignore it.
Second, everyone who accepts the correct hypothesis and believes in continual
progress has the potential to be a subject matter expert. Finally, if you
follow the goal/bigger picture, it will be easier to chase it.
"A Process of Ongoing
Improvement" is the key to every company' success.
Everyone should read this book, in my
opinion.
Wednesday, January 23, 2013
आतममंथन
राहें हमेशा इधर उधर बिखर जाएंगी।।
आँखे अगर बंद करलोगे चलने से पहेले ,
मंज़िले हमेशा बहुत दूर नज़र आएँगी।।
अपनों का साथ ना दे सके मुश्किलों में,
रिश्तों में दूरिया हमेशा के लिए बन जायेंगी।।
विश्वास के धागे को अगर बुन न सके ,
ज़िन्दगी में तन्हाईया ही हमेशा हाथ आएंगी।।
झूँठ और फरेब कर, कितना भी चिलI लो,
एक दिन सचाईया ज़माने को नज़र आएंगी।।
दुनिया को तो धोखा फिर भी दे दोगे ,
अपने आप से कैसे नज़र मिलोगे।।